जीएसटी इंटेलीजेंस अधिकारियों ने सिगरेट कंपनी में 105 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया

जीएसटी इंटेलीजेंस अधिकारियों ने सिगरेट कंपनी में 105 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया


नई दिल्ली : सोमवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, जीएसटी इंटेलीजेंस अधिकारियों ने इंदौर की एक सिगरेट कंपनी द्वारा पिछले सालभर में 105 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है


बयान में बताया गया कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने पिछले सप्ताह कंपनी के परिसरों में छापा मारा, जिसमें पता चला कि कारखाने के पीछे की ओर एक गुप्त रास्ता बना था, जिससे अवैध तरीके से कच्चा माल कारखाने में लाया जाता था और वहीं से बनी हुई सिगरेट अवैध तरीके से बाहर निकाल दी जाती थी।


जांच एजेंसी ने बताया कि मशीनों को चलाने के लिए प्रयोग होने वाले एक जनरेटर को भी इस तरह से तैयार किया गया था, जिससे उत्पादन को प्रभावित किया जा सके।


डीजीजीआई भोपाल के एडिशनल डायरेक्टर जनरल की ओर से जारी बयान में कहा गया, "डीजीजीआई की ओर से की गई जांच में अप्रैल, 2019 से मई, 2020 की अवधि में टैक्स व विभिन्न शुल्क व सेस के मद में करीब 105 करोड़ रुपये की चोरी का पता चला है।"


इसमें कहा गया है कि संभवतः कंपनी ने जीएसटी लागू होने के बाद और उससे पहले की अवधि में भी इसी तरह करों की चोरी की है।


डीजीजीआई ने कहा, "इस हिसाब से कुल राजस्व चोरी का अनुमान जांच पूरी होने के बाद ही लगाया जा सकता है। यह राशि कई गुना हो सकती है।


बयान में कहा गया है कि डीजीजीआई द्वारा एक अन्य मामले में हाल ही में गिरफ्तार किए गए एक मास्टरमाइंड के वित्तीय लेनदेन की जांच में पाया गया कि उसने एक मीडिया हाउस खोला था, जिसमें उसने समाचार पत्र की रोजाना 12 से 1. 5 लाख प्रतियां बिकने की बात कही थी, जबकि वास्तविक सर्कुलेशन मात्र 4,000 से 6,000 था। 


बयान में कहा गया, "इस तरह धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड ने अवैध पान मसाला व सिगरेट के कारोबार से मिले काले धन को अखबार के सर्कुलेशन में खर्च व फर्जी विज्ञापनों से मिली आय के रूप में दिखाते हुए बड़ी मात्रा में नकदी को सफेद धन में बदलने यानी मनी लॉन्ड्रिंग का काम किया।" 


डीजीजीआई ने कहा कि फैक्टरी के सुपरवाइजर, अकाउंटेंट और अन्य स्टाफ से पूछताछ में पाया गया कि पिछले कई साल से कंपनी अपने उत्पादन के बमुश्किल पांच प्रतिशत उत्पाद को ही खातों में दर्ज करा रही है। बाकी सब अवैध तरीके से बेचा जा रहा है। खाते में दर्ज में होने वाले उस पांच प्रतिशत उत्पाद के ग्राहकों में भी कुछ बड़े ग्राहकों के नाम फर्जी पाए गए हैं।" 


बयान में बताया गया कि 19 जून को डीजीजीआई अधिकारियों ने कंपनी के एक गुप्त और गैरपंजीकृत गोदाम का पता लगाने में भी कामयाबी हासिल की थी, जहां ये कर चोर के-10 और ए-10 जैसे कई विशेष सिगरेट ब्रांड की पैकिंग का सामान छुपाकर रखा करते थे।


इसमें कहा गया, “जांच में पाया गया है कि जो पैकिंग मैटेरियल मिला है, वह करीब 5000 कार्टन के हिसाब से पर्याप्त था। हर कार्टन में 12,000 सिगरेट होती है। इनकी प्रिंटेड एमआरपी लगभग 27 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।" 


बयान में कहा गया है कि इस बात की आशंका है कि कंपनी के ऐसे और भी छिपे हुए व अघोषित गोदाम इंदौर में और इसके आसपास हो सकते हैं, जिनका पता लगाने की कोशिश डीजीजीआई अधिकारी कर रहे हैं। 


बयान में बताया गया है कि इन दो ब्रांड के लिए पैकिंग मैटेरियल की आपूर्ति करने वालों ने हर महीने करीब 1,500 कार्टन के बराबर के पैकिंग मैटेरियल की आपूर्ति की पुष्टि की है। 


ऑपरेशन कर्क के तहत डीजीजीआई भोपाल के अधिकारियों ने 9 से 12 जून के बीच पान मसाला/तंबाकू के कई डीलरों व डिस्ट्रीब्यूटरों के परिसरों में छापा मारा था, जिसमें बड़े पैमाने पर ऐसे पान मसालों/तंबाकू के छिपे हुए स्टॉक को जब्त किया गया, जिन पर जीएसटी नहीं चुकाया गया था। इनसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मद में 400 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता चला


बड़े पैमाने पर वस्तु एवं सेवा कर के नुकसान और खाद्य एवं सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं होने के कारण अवैध तंबाकू उत्पादों के प्रयोग से पड़ने वाले दुष्प्रभाव, जिससे मुंह का कैंसर (कक) होने का खतरा बढ़ जाता है, इसे देखते हुए ही इस अभियान का नाम 'कर्क रखा गया है


इस मामले के एक मास्टरमाइंड और लाभ कमाने वाले को 15 जून को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था। बाद में जांच में पता चला कि वह इंदौर में एक कारखाने में सिगरेट निर्माण व आपूर्ति के काम से भी जुड़ा है।


आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर डीजीजीआई के अधिकारियों ने बताया कि इस कारखाने से पिछले दो वित्त वर्ष में क्रमशः मात्र 2.09 करोड़ रुपये और 1.46 करोड़ रुपये की जीएसटी का भुगतान किया गया था।


बयान में बताया गया कि अन्य विश्लेषण और जुटाई गई जानकारी के आधार पर पिछले हफ्ते इस कारखाने से जुड़े पांच स्थानों पर छापा मारा गया था।


इसमें कहा गया, "इस मामले में कर चोरी के इस गिरोह में कंपनी के डायरेक्टर, ट्रांसपोर्टर, सहयोगी मैन्यूफैक्चरर्स और कच्चे माल की आपूर्ति करने वाले शामिल हैं। इनमें से कई अभी फरार चल रहे हैं और डीजीजीआई की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।”